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पानीपत सर्कल की और से 500 यूनिट रक्त दान किया गया
दादी प्रकाशमणि जी पुण्य स्मृति दिवस पर पानीपत सर्कल में 11 स्थानों पर रक्तदान शिविर लगाया गये । सब से प्रथम ज्ञान मानसरोवर रिट्रीट सेंटर में रक्त दान शिविर का उद्घाटन किया गया। इस रक्त दान शिविर का उद्घाटन भ्राता मुकेश शर्मा, सीनियर जनरल मैनेजर, इंडियन सिंथेटिक रबर लिमिटेड, ड्रॉक्टर पूजा, रक्तदान कैंप इंचार्ज, रेड क्रॉस ब्लड सेंटर, पानीपत एवं भ्राता भारत भूषण, डायरेक्टर, ज्ञान मानसरोवर रिट्रीट सेंटर, पानीपत ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस रक्त दान की विशेषता रही कि 65 वर्ष के भ्राता भारत भूषण ने भी रक्त दान किया एवं पानीपत रिफाइनरी के 15 अधिकारियो ने भी रक्त दान किया ।
पिल्लुखेड़ा में भी रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमे पिल्लुखेड़ा शहर के 15 से अधिक विशिष्ट व्यक्तियों ने इस रक्त दान शिविर में पधारें एवं उन्होंने भी रक्त दान किया।
समालखा में भी रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन भ्राता नरेंद्र, DSP, समालखा ने किया एवं रक्त दान भी किया।
सफीदों में भी रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन भ्राता राम कुमार, MLA सफीदों ने किया।
मडलौडा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन भ्राता महेंद्र पवार, कार्यकर्ता BJP मडलौडा ने किया।
शामली सेवाकेंद्र पर भी रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन भ्राता अरविन्द सिंगल चेयरमैन, शामली ने किया ने किया।
सोनीपत शिव कॉलोनी में भी रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन भ्राता नरेंद्र बुटानी, समाजसेवी ने किया।
बापौली सेवाकेंद्र रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन बोपली सरपंच ने किया।
इसके अलावा पानीपत सर्कल के अन्य स्थानों पर रक्त दान शिविरों का आयोजन किया गया जैसे कि बिजनौर, चांदपुर, शुक्रताल, जॉनसठ आदि।
1. भ्राता मुकेश शर्मा, सीनियर जनरल मैनेजर, इंडियन सिंथेटिक रबर लिमिटेड, डॉक्टर पूजा, रक्त दान कैंप इंचार्ज, रेड क्रॉस ब्लड सेंटर, पानीपत एवं भ्राता भारत भूषण, डायरेक्टर, ज्ञान मानसरोवर रिट्रीट सेंटर, पानीपत दीप जलाकर रक्त दान शिविर का उद्घाटन करते हुए।
2. पानीपत रिफाइनरी के 15 अधिकारियों ने भी ज्ञान मानसरोवर में रक्तदान शिविर में रक्तदान करते हुए।
3. भ्राता भारत भूषण जी भी रक्तदान शिविर में रक्तदान करते हुए।
4.पिल्लुखेड़ा शहर के 15 से अधिक विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा रक्त दान शिविर में पधारें एवं उन्होंने भी रक्त दान किया।
5. समालखा में भ्राता नरेंद्र, DSP, समालखा, द्वारा रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुए।
6. समालखा में भ्राता नरेंद्र, DSP, समालखा, ने भी रक्तदान शिविर में रक्तदान करते हए।
7. सफीदों में भ्राता राम कुमार गौतम, MLA द्वारा रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुए।
8. सफीदों में रक्तदान शिविर में रक्तदान करते हुए भाई।
9 मडलौडा सेवाकेंद्र पर रक्तदान करने के पश्चात सर्टिफिकेट देते हुए बी के सुमन बहन।
10. शामली सेवाकेंद्र पर भ्राता अरविन्द सिंगल, चेयरमैन शामली द्वारा रक्त दान शिविर का उद्घाटन करते हुए।
11. सोनीपत शिव कॉलोनी में भ्राता नरेंद्र बुटानी, समाजसेवी द्वारा रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुए।
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शिक्षाविद सम्मलेन में एवं 100 विशिष्ट शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया।
कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण की रीढ़ हैं और उनके बिना समाज की प्रगति अधूरी है। अगर अध्यापक चरित्रवान है तो उसके विद्यार्थी भी चरित्रवान और महान बनते हैं। आज मुझे बहुत ख़ुशी है ब्रह्माकुमारीज़ के और से चरित्रवान और महान अध्यापकों का सम्मान किया जा रहा है।
कार्यक्रम में बीके सुमन दीदी, नेशनल कोऑर्डिनेटर, एजुकेशन विंग ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि शिक्षा केवल जानकारी नहीं, बल्कि जीवन को मूल्यनिष्ठ और उज्ज्वल बनाने का माध्यम है। शिक्षक ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की धुरी हैं। इसलिए हमें मूल्यवान बनकर बच्चों को भी मूल्यवान बनाना है।
राकेश बुरा, जिला शिक्षा अधिकारी, पानीपत ने कहा कि एक अच्छा शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन की दिशा बदल सकता है और उनके अंदर मानवीय मूल्य विकसित कर सकता है।
बीके भारत भूषण, निदेशक, ज्ञान मानसरोवर, पानीपत, ने कहा कि आज के समय में शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार नहीं बल्कि चरित्र निर्माण होना चाहिए। निस्वार्थ भाव, एकाग्रता, शांत, ढृढ़ता, धैर्यता आदि जैसे गुणों से सम्पन होना चाहिए । एक अध्यापक अनेक गुणों से सम्पन होता तभी वह समाज के नवनिर्माण में अहम् भूमिका निभा सकता है।
राजयोगिनी सरला दीदी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि जब शिक्षा आध्यात्मिकता से जुड़ती है तो वह जीवन में शांति और समृद्धि लाती है। इसलिए हमें आध्यात्मिकता से जुड़ना चाहिए। इस अवसर स्वामी संत त्यागी, कटनी ने सभी अध्यापकों को अपने शुभकामनाओं द्वारा आशीर्वचन भी दिए एवं इस कार्यक्रम का शंखनाथ करके इस सम्मलेन शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में 100 से अधिक विशिष्ट अध्यापकों को श्री रणबीर गंगवा, लोक निर्माण विभाग मंत्री, हरियाणा सरकार, राजयोगिनी सरला दीदी जी एवं भ्राता भारत भूषण जी के कर कमलों से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं ईश्वरीय सौगात भी दी गयी। तत पश्चात सभी ने ब्रह्मा भोजन भी स्वीकार किया। मंच का संचालन बीके ज्योति बहन ने किया। भ्राता अविनाश गायक, नागपुर ने अपनी सुरीली आवाज से सभी अध्यापकों का स्वागत किया साथ साथ स्वामी गुरु ब्रह्मानंद के स्कूल के बच्चों ने अपने नृत्य से माननीय मंत्री एवं सभी अध्यापकों का स्वागत किया।
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विराट संत सम्मेलन Grand Sant Sammelan
सर्वप्रथम ब्रह्माकुमारी बहनों ने मंच पर उपस्थित सभी महानुभावों का बैज एवं गुलदस्ते के द्वारा स्वागत किया। तत्पश्चात ज्ञान मानसरोवर निदेशक बीके भारत भूषण व सर्किल इंचार्ज बीके सरला बहन जी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का सभी पूज्य संत जनों द्वारा दीप प्रज्वलन से शुभारंभ किया गया। इस संत सम्मेलन में 1000 से अधिक भाई बहनों ने भाग लिया।
आदरणीया वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शीलू दीदी जी ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मनजीते बनने का अर्थ यह नहीं है कि मन को मारना अपितु मन को सुमन बनाकर अमन करना है और यह मन सुमन तब होगा जब इसमें सूंदर सूंदर विचार होंगे। मन को 1 सेकंड में वश में किया जा सकता है और इसकी सहज विधि है राजयोग। राजयोग के माध्यम के द्वारा हम अपने मन को जीत सकते है। हिंसा के बल से किसी का मन नहीं जीता जा सकता। लेकिन अपितु प्रेम के बल से सबको जीता जा सकता है। साथ साथ राजयोगिनी शीलू दीदी ने सभी को राजयोग का अभ्यास भी कराया।
आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर (सहारनपुर) ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे नाज हैं मैं भारत देश का रहने वाला हैं, भले ही मैं पूरी दुनिया मे घुमा हूं, लेकिन ऐसा पवित्र स्थान कहीं नहीं देखा। भारत विश्व का महान तीर्थ स्थान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र उत्थान में अध्यात्म की बहुत जरूरत है और ये ब्रह्माकुमारीज संस्थान एक मिशन के रूप में अध्यात्म अर्थात आत्मा-परमात्मा का सच्चा ज्ञान जन -जन तक पहुंचा रही है।
ब्रह्माकुमार भ्राता रामनाथ जी ने कहा कि आज साइंस ने भले ही बहुत तरक्की की है, सुख के लिए बहुत साधन बना दिए हैं, लेकिन उन साधनों में सदाकाल का सुख नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा कि सुख और शांति का स्रोत एक परमात्मा पिता है। उनको सदा याद करते रहें तो हम अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कार्यक्रम में अपनी शुभ कामना देते हुए कहा कि जैसा आहार वैसा व्यवहार, जैसा पानी वैसी वाणी। आहार की शुद्धि हमारे व्यवहार से जुड़ी है। स्वम् भगवान आबू के भूमि पर आये इसलिए हमें आबू के बाबू के काबू आ जाना चाहिए ।
गोस्वामी सुशील जी महाराज ने कहा कि केवल मंदिर जाना, गीता, रामायण आदि पढ़ना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह तो परिवर्तन का हमारा पहला कदम होता है। ये सब करने के बाद हमें ज्ञान की बातों को जीवन में धारण करना बहुत जरूरी है। ज्ञान को केवल कंठस्थ करना ही काफी नहीं है। उसको व्यवहारिक जीवन में भी लाना है।
राजयोगिनी सरला दीदी जी सर्कल इंचार्ज, पानीपत ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में आने वाले 10 लाख से ज्यादा भाई-बहनें ऐसे हैं जो घर गृहस्थ में रहते पवित्र जीवन व्यतीत कर रहे हैं। साथ साथ सभी महामंडलेश्वर एवं संतो का धन्यवाद् किया। भ्राता सतीश गोयल, अध्यक्ष वृद्ध एंड अनाथ आश्रम, पानीपत, भ्राता राधे श्याम, सदस्य धार्मिक विभाग, चंडीगढ़ से मंच पर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में मंच का कुशल संचालन ब्रह्माकुमारी सुनीता बहन ने किया। नन्ही बालिकाओं ने स्वागत नृत्य और शिव महिमा नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सभी महामंडलेश्वरों एवं संतो को पुष्प मालाएं एवं दुष्याले पहनाकर और ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया गया।
2 विराट संत सम्मेलन में भाग लेने वाले मंच पर उपस्थित सभी पूज्य महामंडलेश्वर एवं संत जन।
3 विराट संत सम्मेलन में अपनी अपने अनुभव युक्त विचार रखते हुए आदरणीया वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शीलू दीदी जी।
4 विराट संत सम्मेलन में अपनी शुभकामनाएं देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, (पटौदी) ।
5 विराट संत सम्मेलन में अपनी शुभकामनाएं देते हुए राजयोगी भ्राता रामनाथ जी।
6 विराट संत सम्मेलन में अपनी शुभकामनाएं देते हुए आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी (सहारनपुर)
7 . विराट संत सम्मेलन में अपनी शुभकामनाएं देते हुए राजयोगी भ्राता भारत भूषण जी।
8 विराट संत सम्मेलन में अपनी शुभकामनाएं देते हुए गोस्वामी सुशील जी महाराज (दिल्ली),
9 विराट संत सम्मेलन में अपनी शुभकामनाएं देते हुए राजयोगिनी सरला दीदी जी।
10 विराट संत सम्मेलन में कार्यक्रम का लाभ उठाते हुए भाई बहने।
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विश्व धरा दिवस समारोह – World Earth Day Celebration
भ्राता मुकेश जी ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान इस धरा को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाने के लिए आये है । इसलिए सबसे पहले हमें अपने मन को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाना है। तभी हम इस विश्व को स्वच्छ एवं स्वस्थ बना सकेंगे।
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